नरेंद्र मोदी और अमित शाह पर नाथूराम गोडसे का साया: ब्लॉग
राजेश जोशीरेडियो संपादक, बीबीसी हिंदी


क्या आपने कभी नरेंद्र मोदी और अमित शाह को लाचार होते देखा है? वो जो करते हैं खम ठोक के करते हैं और उस पर कभी अफ़सोस नहीं जताते और कभी कभार ही सफ़ाई देने की ज़रूरत महसूस करते हैं.


गुजरात में हुए 2002 के दंगे हों, सोहराबुद्दीन फ़ेक एनकाउंटर का मामला हो, जज लोया की मौत और अमित शाह के ख़िलाफ़ लगे तमाम तरह के आरोप हों, नोटबंदी, लिंचिंग हो या फिर बम विस्फोट करके निर्दोष लोगों की जान लेने के आरोपों में घिरी प्रज्ञा ठाकुर को भोपाल से लोकसभा चुनाव में उतारने का फ़ैसला - आपने कभी मोदी और शाह को बैकफ़ुट पर नहीं देखा होगा.


नाथूराम गोडसे शायद ऐसा अकेला ऐतिहासिक चरित्र है जिसने मोदी और अमित शाह जैसे उग्र और आक्रामक राजनीति करने वाले नेताओं को भी बैकफ़ुट पर धकेल दिया है.


मोदी-शाह ने कहा था कि प्रज्ञा ठाकुर को चुनाव में उतारने का फ़ैसला उन लोगों को सांकेतिक जवाब देने के लिए किया गया जिन्होंने भगवा आतंक की बात कहकर हिंदू संस्कृति को बदनाम किया था. उन पर इन आलोचनाओं का कोई असर नहीं पड़ा कि प्रज्ञा ठाकुर अब भी मालेगाँव विस्फोट मामले में अभियुक्त हैं और ज़मानत पर बाहर हैं.


पर अब उसी प्रज्ञा ठाकुर के कारण नरेंद्र मोदी और अमित शाह को बार-बार शर्मिंदगी उठानी पड़ रही है. पहले उन्होंने कहा कि मुंबई हमले में मारे गए पुलिस अफ़सर हेमंत करकरे को मैंने शाप दिया था और गुरुवार को उन्होंने गाँधी के हत्यारे के बारे में कहा - गोडसे देशभक्त थे, देशभक्त हैं और देशभक्त रहेंगे.