ईवीएम पर आरोप और धमकी हताशा का परिणाम:-देवेन्द्र,


काशी क्षेत्र विधि प्रकोष्ठ संयोजक देवेन्द्र नाथ मिश्र ने अधिवक्ताओं की एक बैठक में कहा कि लगभग सभी एक्जिट पोल पर संभावित हार से बौखलाए विपक्ष द्वारा ईवीएम पर उंगली उठना और परिणाम पक्ष में न होने पर हिंसा की बात करना निश्चित रूप से हताशा में उठाया जा रहा कदम है जो लोकतंत्र के लिए शुभ संकेत नही है.
सभी विपक्षी दल हार का बहाना ढूंढ रहे है ताकि 23 के बाद हार का ठीकरा किसी दूसरे पर फोड़ सकें ,जिन 22 दलों के नेताओं की बैठक दिल्ली में हुई है उन सभी पर किसी न किसी तरह के भ्रष्टाचार के केस चल रहे हैं और अपने अपने बचाव में वे सभी एकजुट हैं ताकि फंसने पर अपनी एकजुटता दिखाते हुए सरकार पर दबाव बना सकें,मगर ये सोचना उनके लिए मुंगेरी लाल के हसीन सपने जैसे हैं.हिन्दुस्तान में कानून का राज्य चलेगा भ्रष्टाचार और हिंसा का नही.
ईवीएम पर आरोप लगाने वाले ये न भूलें कि सभी प्रदेशों में भाजपा का राज नही है,जहाँ गैर भाजपाई दलों का शासन है वहां क्या आरोप लगाएंगे.
आज देश की जनता ने केंद्र सरकार के पांच साल का सुशासन और विकास देखकर भाजपा और उसके सहयोगी दलों को सत्ता सौपने का मन फिर से बना लिया है.
परिवारवाद और जातिवाद के दम पर राजनैतिक रोटियां सेकने वालों की दुकाने बंद होती देख गठबंधन के नेतागण भयभीत हैं..
बिहार में पूर्व केंद्रीय मंत्री उपेंद्र कुशवाहा द्वारा हिंसा की खुलेआम धमकी देना घोर निंदनीय है इनके खिलाफ विधिक कार्यवाही होना चाहिए.सभी दलों को कुशवाहा के धमकी वाले वक्तव्य पर विरोध करना चाहिए.बिहार के युवा अब जाग चुके हैं और राष्ट्रहित में भाजपा को दुबारा सत्तारूढ़ करने का मन बना चुके हैं.
प.बंगाल में हिंसा के बल पर सत्ता का स्वप्न देखने वाली ममता बनर्जी के दिन अब लद चुके हैं.
भाजपा ने जाति धर्म से ऊपर उठकर सबका साथ सबका विकास किया जिसका परिणाम है कि दो तिहाई बहुमत से केंद्र में एनडीए की सरकार बनने जा रही है.
ईवीएम पर मिथ्या आरोप लगाने वाले ये न भूले कि पहले किस तरह बूथ कब्जे और बैलेट पेपर लूटे जाते थे.पूर्व व्यवस्था की मांग करने वाले लोकतंत्र का गला घोटना चाहते हैं.
बैठक में अरविंद सिंह.मृत्युंजय तिवारी.आशुतोष पाण्डे.श्यामचंद हेला.देवेश सिंह.रमेश त्रिपाठी.आशीष मिश्र मुन्ना.विष्णु पाण्डे.सुभाष बाजपेई.अजीत राय.राकेश पांडे.नंदलाल पटेल.रवींद्र त्रिपाठी.विपुल मित्तल.संदीप भट्ट.मनोज शर्मा.अजय राजेन्द्र.प्रणविजय सिंह.आलोक त्रिपाठी.कुलदीप श्रीवास्तव.चन्द्रमा यादव.ज्ञानेन्द्र मिश्र.वीकेमिश्र.ज्ञानेन्द्र सिंह.शिवम द्विवेदी.आदर्श पाण्डे.प्रभा शंकर त्रिपाठी.कन्हैया दुबे आदि रहे.