भाकियू के हंगामें के बाद जागा नहर विभाग, 10 से पानी छोड़ने का एलान


बाराबंकी। मोदी व योगी की सरकार में सरकारी अमला इसकदर स्वयंभू व भ्रष्टाचार में लिप्त हो गया है कि आमजन के हितार्थ काम को लेकर उसकी क्रियाशीलता शून्य सी हो गई है। विभाग ने जहां भाकियू से हुई बातचीत में 5मई तक पानी निरंतर रखने का वायदा किया था। वहीं भ्रष्टाचार में लिप्त विभागीय अधिकारियों कर्मचारियों ने पानी को लेकर निश्चिंत हो चुके किसानो को झटका देते हुए मेंथा खेती में ऐन जरूरत के 5मई के तय दिन से काफी पहले 25अप्रैल को ही नहर का पानी बंद कर दिया। अधिशाषी अभियंता सुप्रभात सिंह ने भारतीय किसान यूनियन टिकैत के नाम पत्र जारी कर किसान हित मे 10 मई से पुनः नहरों में पानी छोड़ने का ऐलान किया है।


जिसको लेकर नाराज भाकियू टिकैत को आंदोलन के लिए मजबूर होना पड़ा। भाकियू के हंगामे के बाद जागे नहर विभाग ने अब 10मई को दोबारा नहर चालू करने का वायदा किया है। लेकिन तबतक किसानों की मानें तो तेज लू गर्मी में मेंथा की फसल को काफी नुकसान पहुंच सकता है। बताते चलें कि जिले में किसानों द्वारा मेंथा की खेती व्यापक पैमाने पर की जाती है। मई माह में फसल की सिंचाई की आवश्यकता अधिक होती है। इसको दृष्टिगत रखते हुए भारतीय किसान यूनियन ने नहरें चलाये जाने की मांग की थी। नहर विभाग के मुख्य अभियंता आर के गुप्ता और भाकियू नेताओ में हुई बातचीत में यह तय हुआ था कि 5 मई तक नहरों में पानी चलाया जाएगा। लेकिन इसके उलट 24 अप्रैल को ही नहरों में पानी बन्द कर दिया गया था। इससे नाराज भाकियू नेता राम किशोर पटेल व जिला अध्यक्ष अनिल वर्मा के नेतृत्व में 1 मई को सैकड़ो किसानों ने अधिशाषी अभियंता शारदा सहायक सुप्रभात सिंह का घेराव कर उन्हें बंधक तक बनाया था। घण्टो चले हंगामे के बाद अफसरों ने कृषि निदेशक से वार्ता कर चुनाव बाद समस्या का हल निकाले जाने आश्वासन दिया था