उप्र. पावर कॉर्पोरेशन में हुए पीएफ घोटाले की जांच आर्थिक अपराध अनुसंधान (ईओडब्ल्यू) ने शुरू कर दी है। शनिवार की आधी रात ईओडब्ल्यू के डीजी आरपी सिंह के निर्देश पर लखनऊ पुलिस ने शक्ति भवन के द्वितीय तल पर स्थित ट्रस्ट के कार्यालय को सील कर दिया गया और सोमवार को सुबह जांच के लिए वहां 11 सदस्यीय टीम पहुंच चुकी है।
डीजी ने बताया कि जांच के लिए ईओडब्ल्यू की विशेष प्रकोष्ठ के चार इंस्पेक्टरों की टीम बनाई गई है। टीम का पर्यवेक्षण डीआईजी हीरालाल और एसपी शकीलुज्जमा करेंगे। डीजी ओवर ऑल इसकी निगरानी करेंगे।
शनिवार देर रात जांच हाथ में लेते हुए करीब साढ़े 12 बजे डीजी ईओडब्ल्यू का कार्यालय खोलकर संबंधित अधिकारियों को बुलाया गया और गिरफ्तार किए गए पूर्व वित्त निदेशक सुधांशु द्विवेदी और ट्रस्ट के पूर्व सचिव प्रवीण कुमार गुप्ता से लंबी पूछताछ हुई। पूछताछ का सिलसिला सुबह 4 बजे तक चला।
सूत्रों की मानें तो पूछताछ में सुधांशु और प्रवीण ने बताया कि बैंकों में एफडी के रेट काफी घट गए थे। जीपीएफ का रेट भी 8 प्रतिशत ही था। एफडी में जो पैसे पहले लगे थे, उसमें नुकसान हो रहा था।
24 मार्च 2017 को अंशदायी भविष्य निधि के बोर्ड ऑफ ट्रस्टीज की बैठक में यह निर्णय लिया गया कि 2 मार्च 2015 की केंद्र सरकार की अधिसूचना के आधार पर अधिक ब्याज दर एवं अधिक लाभांश देने वाले राष्ट्रीयकृत बैंकों व 'ए ट्रिपल प्लस' रेटेड कंपनी में निवेश किया जा सकता है। ये बैंक राष्ट्रीयकृत बैंकों के अलावा भी हो सकती हैं। डीएचएफएल 'ए ट्रिपल प्लस' रेटेड कंपनी थी, इसलिए इसमें निवेश का निर्णय लिया गया।
शनिवार देर रात जांच हाथ में लेते हुए करीब साढ़े 12 बजे डीजी ईओडब्ल्यू का कार्यालय खोलकर संबंधित अधिकारियों को बुलाया गया और गिरफ्तार किए गए पूर्व वित्त निदेशक सुधांशु द्विवेदी और ट्रस्ट के पूर्व सचिव प्रवीण कुमार गुप्ता से लंबी पूछताछ हुई। पूछताछ का सिलसिला सुबह 4 बजे तक चला।
सूत्रों की मानें तो पूछताछ में सुधांशु और प्रवीण ने बताया कि बैंकों में एफडी के रेट काफी घट गए थे। जीपीएफ का रेट भी 8 प्रतिशत ही था। एफडी में जो पैसे पहले लगे थे, उसमें नुकसान हो रहा था।
24 मार्च 2017 को अंशदायी भविष्य निधि के बोर्ड ऑफ ट्रस्टीज की बैठक में यह निर्णय लिया गया कि 2 मार्च 2015 की केंद्र सरकार की अधिसूचना के आधार पर अधिक ब्याज दर एवं अधिक लाभांश देने वाले राष्ट्रीयकृत बैंकों व 'ए ट्रिपल प्लस' रेटेड कंपनी में निवेश किया जा सकता है। ये बैंक राष्ट्रीयकृत बैंकों के अलावा भी हो सकती हैं। डीएचएफएल 'ए ट्रिपल प्लस' रेटेड कंपनी थी, इसलिए इसमें निवेश का निर्णय लिया गया।