स्मॉग ने बढ़ाई मुश्किल, अब फिर से दो दिन तक बंद रहेंगे 12वीं तक के स्कूल

स्मॉग ने एक बार फिर शिकंजा कस दिया है। बुधवार को मेरठ का वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 320 के पार पहुंच गया। वायुमंडल में पार्टिकुलेट मैटर का घनत्व बढ़ गया। पीएम 10, पीएम 2.5 के अलावा नाइट्रोजन डाई ऑक्साइड और खतरनाक कॉर्बन मोनो ऑक्साइड की मात्रा भी बढ़ी हुई है। भयावह स्थिति को देखते हुए जिला प्रशासन ने 12वीं तक के स्कूलों में दो दिन का अवकाश घोषित कर दिया है।



मेरठ समेत पूरा दिल्ली-एनसीआर दोबारा से स्मॉग की चपेट में आ गया है। मौसम वैज्ञानिकों का कहना है कि नमी बढ़ने के कारण स्मॉग वायुमंडल में नीचे आ गया है। आईआईएफएसआर के मौसम वैज्ञानिक डॉ. एन. सुभाष का कहना है कि मेरठ में सुबह के समय स्मॉग अधिक रहेगा। इस समय हवा की गति दो से चार किमी प्रति घंटे है, जो बहुत कम है। हवा तेज होने पर ही स्मॉग से राहत मिल जाएगी। दिन व रात के तापमान में भी उतार चढ़ाव चल रहा है। बीते 24 घंटे में मेरठ का एक्यूआई बढ़ा है।  
बुधवार को केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के पल्लवपुरम में लगे एयर क्वालिटी मॉनिटरिंग स्टेशन पर रात 11 बजे एक्यूआई 321 दर्ज किया गया, जिसमें पीएम 2.5 की मात्रा 321 क्यूबिक प्रति घनमीटर, पीएम 10 की मात्रा 232, नाइट्रोजन डॉई ऑक्साइड 134 और कॉर्बन मोनोऑक्साइड का औसत भी मानक से अधिक 89 क्यूबिक प्रति घनमीटर दर्ज किया गया।



वहीं जयभीमनगर का एक्यूआई 324 था, यहां कार्बन मोनोआक्साइड की मात्रा 102 थी, गंगानगर स्टेशन का एक्यूआई 317 दर्ज किया गया, यहां भी रात आठ बजे के बाद से नाइट्रोजन डाई ऑक्साइड और कार्बन मोनोऑक्साइड का सूचकांक बढ़ रहा था। कार्बन मोनोऑक्साइड और नाइट्रोजन डाई ऑक्साइड के बढ़ने का मतलब है कि कुछ न कुछ जलाया जा रहा है। यह फैक्ट्रियों से निकलने वाला धुआं हो सकता है, पराली जलाने से हो सकता है या फिर वाहनों से निकलने वाला धुआं भी कारक हो सकता है। 
खतरनाक है कॉर्बन मोनो ऑक्साइड
कार्बन मोनो ऑक्साइड रंगहीन व गंधहीन गैस है, जो कार्बन डाईऑक्साइड से भी ज्यादा खतरनाक होती है। सांस रोग विशेषज्ञ डॉ. वीरोत्तम तोमर ने बताया कि हवा के साथ शरीर के अंदर पहुंचने पर यह गैस जहरीली साबित हो सकती है और गंभीर रूप से बीमार कर सकती है। देर तक इसके संपर्क में रहने से दम घुट सकता है। यह शरीर को ऑक्सीजन पहुंचाने वाले रेड ब्लड सेल्स पर असर डालती है।





सांस रोग विशेषज्ञ डॉ. अमित अग्रवाल का कहना है कि आमतौर पर सांस लेते वक्त हवा में मौजूद ऑक्सीजन हीमोग्लोबिन के साथ मिल जाती है। हीमोग्लोबिन की मदद से ही ऑक्सीजन फेफड़ों से होकर शरीर के अन्य हिस्सों तक जाती है। कार्बन मोनोऑक्साइड सूंघने से हीमोग्लोबिन मॉलिक्यूल ब्लॉक हो जाते हैं और शरीर का पूरा ऑक्सीजन ट्रांसपोर्ट सिस्टम प्रभावित हो जाता है। ऑक्सीजन नहीं मिलने से शरीर के सेल्स मरने लगते हैं। कार्बन मोनो ऑक्साइड पॉइजनिंग होने पर मरीज को तुरंत साफ हवा में ले जाना चाहिए। अगर मरीज की सांस और पल्स नहीं चल रही हों तो ऑक्सीजन मुहैया करानी चाहिए।
जाम भी बन रहा हवा खराब करने की वजह
मंगलवार को पूरा मेरठ शहर चार-पांच घंटे तक जाम की चपेट में था। इस दौरान हजारों वाहन जाम में फंसे और काफी देर तक धुएं का उत्सर्जन करते रहे। मेरठ की हवा खराब होने में एक कारण यह भी हो सकता है। इसके अलावा तमाम फैक्ट्रियों की चिमनियां भी धुआं उगल रही हैं। हालांकि क्षेत्रीय प्रदूषण नियंत्रण अधिकारी आरके त्यागी का कहना है कि बुधवार को दो टीमों ने शहर में कई जगह निरीक्षण किया। कहीं पर कुछ नहीं मिला। ग्रेप सिस्टम लागू होने के बाद हर दिन की रिपोर्ट शासन को भेजी जा रही है।