टेस्ट क्रिकेट को जिंदा करने के लिए तरह-तरह के उपाय किए जा रहे है। हाल ही में बीसीसीआई अध्यक्ष सौरव गांगुली ने भारत में डे-नाइट टेस्ट कराने का फैसला किया है। लेकिन क्या ये डे नाइट टेस्ट का फार्मूला भारत में काम करेगा। बीसीसीआई ने सबसे आखिर में डे नाइट टेस्ट क्रिकेट के फार्मूले को अपनाया है।ये सीन सामने आते ही हर भारतीय क्रिकेट प्रेमी का सीना गर्व से चौड़ा हो जाता है। ये वो मैच था जहां खिलाड़ियों ने अपने शानदार खेल से हर किसी दिल जीत लिया था। लेकिन क्या ये मैच सिर्फ खिलाड़ियों से पूरा हो पाता। इसके साथ ही मैदान में पहुंचे दर्शकों ने जिस तरह से खिलाड़ियों का जोश बढ़ाया वो उस टेस्ट की सबसे खास चीज होगी। उस मैच में खिलाड़ी हीरो थे। दर्शक और उनके शोर से पूरा मैदान गूंज रहा था। उस दिन मैच भारत ने जीता था लेकिन असल में तो जीत टेस्ट क्रिकेट की हुई थी।
क्या भारत में डे-नाइट टेस्ट क्रिकेट दर्शकों को स्टेडियम खींच पाएगा ?
इस बात को दो दशक बीत गए। टेस्ट क्रिकेट लगातार ढलान की और बढ़ रहा है। दर्शक स्टेडियम से गायब होते जा रहे है। पांच दिन का टेस्ट मैच अब ज्यादातर बार चार दिन में ही खत्म हो जाता है। टेस्ट क्रिकेट का जन्म 1877 में ऑस्ट्रेलिया औऱ इंग्लैंड के बीच मैच से हुआ था। 142 सालों के टेस्ट इतिहास ने हमे डॉन ब्रैडमेन, सचिन तेंदुलकर, ब्रायन लारा औऱ राहुल द्रविड़ जैसे खिलाड़ी दिए। लेकिन बीते कुछ सालों में क्रिकेट के सबसे पुराने फार्मेट ने अपना रंग खो सा दिया है। एशेज जैसे सीरीज को छोड़ दे तो ज्यादातर दर्शक मैदान पर नहीं पहुंचते। जिसको लेकर तरह-तरह के उपाय किए जा रहे है कि दर्शक मैदान पर मैच देखने पहुंचे।