माहे रबिउल अव्वल की पाँचवी पर अय्यामे अज़ा का जुलूस अलवेदा या हुसैन अक़िदत व एहतेराम के साथ निकाला गया।शाहनूर अलीगंज स्थित इमामबाड़ा स्व हातिफ हुसैन से शायरे अहलेबैत नजीब इलाहाबादी की निज़ामत व क़यादत में जुलूसे अलवेदा या हुसैन में शहर की तक़रीबन सभी अन्जुमनों ने नौहा और मातम का नज़राना पेश करते हुए जुलूस में शिरकत की।ज़रखेज़ नजीब ने अपनी तक़रीर में करबला के शहीदों का मार्मिक अंदाज़ मे ज़िक्र किया तो आँखे छलक पड़ीं।इमामबाड़े से एक एक कर मातमी अन्जुमन अब्बासिया , हाशिमया , हुसैनिया क़दीम , मुहाफिज़े अज़ा, मुहाफिज़े अज़ा क़दीम, मज़लूमिया , शब्बीरिया , आबिदया,नक़विया ,असग़रिया , हैदरी आदि अन्जुमन नौहा और मातम का नज़राना पेश करते हुए वक़्फ इमामबाड़ा असद रज़ा तक जुलूस लेकर गई।अन्त में शहर की मशहूरो मारुफ अन्जुमन ग़ुन्चा ए क़ासिमया के नौहाख्वान शबीह अब्बास जाफरी,ज़हीर अब्बास,एजाज़ नक़वी,कामरान रिज़वी,युसूफ नक़वी,अली रज़ा मो०असद,शबीह रिज़वी,अकबर,हैदर,अज़ीम आदि ने करबला में सोने वालो माहापारों अलवेदा की सदा बुलन्द करते हुए शबीहे ताबूत हज़रत इमाम हुसैन,ग़ाज़ी अब्बास का अलम मुबारक,ताज़िया व ज़ुलजनाह की शबीह साथ लेकर जुलूस निकाला जो अपने परम्परागत मार्गों को तय कर रात्रि में इमामबाड़ा असद रज़ा पर पहुँच कर समपन्न हुआ।रास्ते भर अक़िदतमन्दों ने जहाँ शबीहों पर फूल माला चढ़ा कर मन्नत व मुरादें मांगी वहीं बोसा ले कर अक़िदत का इज़हार भी किया।जुलूस में हबीब रज़ा,सै०मो०अस्करी,पप्पू भाई,ज़िशान बब्ली,महमूद,मिर्ज़ा अज़ादार हुसैन,रौनक़ सफीपुरी,गौहर काज़मी,ताशू अलवी,ग़ुलाम अब्बास,हाली हैदर,तक़ी आब्दी आदि मौजूद रहे।
भवदीय
सै०मो०अस्करी
हातिफ हुसैन के अज़ाखाने से निकला अलवेदा या हुसैन का जुलूस