रामनगरी की फिजा तेजी से बदलती नजर आ रही है। 29 साल से तमाम भय-आशंका, प्रतिबंध और गिरफ्तारियों को मात देकर जिस श्रीरामजन्मभूमि न्यास की कार्यशालाओं में कभी काम नहीं थमा, वहां रविवार को सन्नाटा था। हालात देख देश-विदेश ही नहीं, स्थानीय आने वाले भक्त-पर्यटक भी चकित हैं।
वे सवाल उठाते हैं कि फैसला आने वाला है तो पत्थरों पर छेनी-हथौड़ी क्यों नहीं चल रहीं? जवाब में कारसेवकपुरम में बैठे विहिप नेता सरकार के किसी दबाव से इंकार करते हैं, मगर काम शुरू कब होगा? इस सवाल पर साफ कहते हैं कि अब सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद ही शिला तराशी पर निर्णय होगा।
अयोध्या विवाद में सुप्रीमकोर्ट के फैसले के मद्देनजर सरकार आपसी सद्भाव बिगाड़ने वाले कार्यों पर गोपनीय ढंग से कड़ा कदम उठा रही है। इसका ताजा उदाहरण श्रीरामजन्म भूमि पर रामलला का भव्य मंदिर निर्माण का जिम्मा संभालने वाले आरएसएस के प्रमुख अनुषांगिक संगठन विश्व हिंदू परिषद की बदली रणनीति है।
वैसे यहां श्रीरामजन्मभूमि आंदोलन में सक्रिय आरएसएस के विहिप ही नहीं, बल्कि कुल 80 प्रकल्पों में बजरंग दल और दुर्गावाहिनी जैसे मुखर संगठन भी खामोशी ओढ़े हैं। इसके पीछे केंद्र व राज्य की भाजपा सरकार की सधी हुई रणनीति मानी जा रही है।
अयोध्या विवाद में सुप्रीमकोर्ट के फैसले के मद्देनजर सरकार आपसी सद्भाव बिगाड़ने वाले कार्यों पर गोपनीय ढंग से कड़ा कदम उठा रही है। इसका ताजा उदाहरण श्रीरामजन्म भूमि पर रामलला का भव्य मंदिर निर्माण का जिम्मा संभालने वाले आरएसएस के प्रमुख अनुषांगिक संगठन विश्व हिंदू परिषद की बदली रणनीति है।
वैसे यहां श्रीरामजन्मभूमि आंदोलन में सक्रिय आरएसएस के विहिप ही नहीं, बल्कि कुल 80 प्रकल्पों में बजरंग दल और दुर्गावाहिनी जैसे मुखर संगठन भी खामोशी ओढ़े हैं। इसके पीछे केंद्र व राज्य की भाजपा सरकार की सधी हुई रणनीति मानी जा रही है।