आरसीईपी: भारत के इनकार से किसानों और छोटे उद्यमियों को मिली राहत

भारत के क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक भागीदारी (आरसीईपी) समझौते से बाहर होने के फैसले से देश के किसानों, सूक्ष्म, लघु एवं मझोले उपक्रमों (एमएसएमई) और डेयरी क्षेत्र को बड़ी मदद मिलेगी। सूत्रों के मुताबिक, आरसीईपी में भारत का रुख प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मजबूत नेतृत्व और दुनिया में भारत के बढ़ते कद को दर्शाता है। मंच पर भारत का रुख काफी व्यावहारिक रहा है। भारत ने जहां गरीबों के हितों के संरक्षण की बात की, वहीं देश के सेवा क्षेत्र को लाभ की स्थिति देने का भी प्रयास किया।



वित्त मंत्रालय की सचिव (पूर्व) विजय ठाकुर सिंह ने कहा, भारत ने आरसीईपी में शामिल नहीं होने के फैसले से अवगत करा दिया है। यह हमारी मौजूदा आर्थिक स्थिति के साथ-साथ समझौते के निष्पक्ष और संतुलन के आकलन को दर्शाता है। वार्ता में भारत के मूल हितों से जुड़े कई मुद्दे अनसुलझे रहे, जिसके बाद हमने इससे बाहर होने का फैसला किया।
सरकारी सूत्रों के मुताबिक, भारत ने विभिन्न क्षेत्रों में वैश्विक प्रतिस्पर्धा को खोलने में कोई हिचकिचाहट नहीं दिखाई। साथ ही मजबूती से यह भी बात रखी कि समझौते का कोई भी नतीजा आए, वह सभी देशों और क्षेत्रों के अनुकूल हो। यह पहला मौका नहीं है जब अंतरराष्ट्रीय व्यापार और इससे जुड़ी बातचीत को लेकर नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत सरकार ने मजबूत इरादों को दर्शाया है। वार्ता कौशल के लिए जाने जाने वाले अमेरिकी राष्ट्रपति भी मोदी को एक कठिन वार्ताकार कह चुके हैं। 

फ्रंट फुट पर खेला भारत   


इस बार भारत ने फ्रंट फुट पर खेला और व्यापार घाटे पर अपनी चिंताओं को दूर करने की आवश्यकताओं पर जोर दिया। इसके साथ ही भारतीय सेवाओं और निवेशों के लिए वैश्विक बाजार खोलने की जरूरत पर भी जोर दिया। इससे जहां किसानों, गरीबों के हितों की रक्षा होगी, वहीं सेवा क्षेत्र को भी लाभ पहुंचेगा।