यह बात करबला सिविल लाइन में मजलिसे तरहीम को खिताब करते हुए आली जनाब मौलाना सै.एहसान अहमद बनारसी नेकही । उन्होंने यह भी कहा जो गु़स्से को कन्ट्रोल करले वही बहादर है, सेहत बस वही सेहत है जो इबादत के काम आए । किसी पर ज़ुल्म ढ़ाने वाली व गुरूर करने वाली सेहत पागलों की है। मजलिस से पहले । सरवर अली रिज़वी ने पढ़ा- मजलिसों से मक़्सदे सरवर को पूरा कीजिए ,मिम्बरों पे गुमरही की जुमले बाज़ी रोकिए ।आसिम नक़वी,अमान अब्बास , रज़ा मेहदी ने भी नज़रानये अकी़दत पेश की मजलिस का आग़ाज़ हदीसे किसा से हसनैन आब्दी ने किया । वहीं लाइन पुरवा स्थित मरहूम शब्बर साहब के अज़ाख़ाने में मजलिस को खिताब आली जनाब मौलाना जवाद अस्करी ने किया ।अस्करी हाल की मजलिस को आली जनाब मौलाना आज़िम बाक़री ने ख़िताब करते हुए कहाकि इस्लाम की अस्ल तालीम यह है कि आपस में इत्तेहाद हो। उम्मते मुसलेमा को इख्तेलाफ़ से बचाने के लिए जो कुरबानियां मौला अली अ.और औलाद ए अली अ.ने दी हैं उससे बढ़कर हमारे लिए इत्तेहाद का कोई और दर्श नहीं हो सकता।वहीं हर अज़ाख़ाने में शोअरा ने नज़रानये अक़ीदत पेश किया।मजलिसों का आग़ाज तिलावत ए कलाम ए पाक से किया गया।मजलिसों के आख़िर में करबला वालों के मसायब पेश किए गए जिसे सुनकर अज़ादार रोने लगे।बानियाने मजलिस ने सभी का शुक्रिया अदा किया।
जो हराम कोछोड़ कर हलाल अपनाते हैं वही तिजारत मे फ़ायदा उठाते हैं आख़ेरत भी बनाते हैं-मौ.सै.एहसान