रामगांव थाना क्षेत्र के सोहरवा में शुक्रवार को अनियंत्रित कार की चपेट में आकर एक किशोरी की मौके पर मौत हो गई। 3 लोग गंभीर रूप से घायल हो गए। घटना से लोगों में जबरदस्त आक्रोश फैल गया। सैकड़ो लोगों ने लखनऊ निवासी कार चालक को पकड़कर उसकी पिटाई शुरू कर दी। जानकारी मिलते ही थाने की हाइवे चौकी का सिपाही विक्रम सिंह तत्काल मौके पर पहुंच गया, लेकिन सूचना के बाद भी रामगांव एसओ मौके पर पहुंचना गवारा नही समझे। सिपाही सैकड़ो की भीड़ से चालक को बचाने के लिए जूझते हुए भीड़ का शिकार भी बनता रहा। जानकारी होते ही तत्काल हाइवे चौकी इंचार्ज व अन्य सिपाही वहा तत्काल पहूंच गए, लेकिन एसओ साहब वहां तब भी नही पहुंचे। भीड़ के चंगुल में फंसे चालक को छुड़ाने के लिए मौके पर अकेले जूझ रहे सिपाही की हौसला अफजाई कर पिट रहे चालक को बचाने में अन्य पुलिसकर्मी भी जुट गए। सूत्रों की माने तो मामला बस से बाहर होता देख अन्य पुलिसकर्मियों ने सूचना तत्काल उच्चाधिकारियों को दी। मामले को गंभीरता से लेकर एसपी डॉ गौरव ग्रोवर ने तत्काल शहर से फोर्स रवाना किया। कुछ मिनटों में नगर कोतवाल सर्वेन्द्र कुमार ,दरगाह एसओ देवेंद्र कुमार श्रीवास्तव समेत बड़ी संख्या में पुलिस बल मौके पर पहुंच गया और स्थित को सामान्य किया इसके बाद रामगांव एसओ मौके पर शायद रस्म अदायगी के लिए पहुंचे। अब बड़ा सवाल यह है कि अगर एसओ के भरोसे आलाधिकारी भी चुप्पी साध लेते तो शायद कार चालक आज शायद जिंदा न होता ? ऐसे में अगर मौके पर भीड़ से जूझ रहे पुलिस कर्मी किसी घटना का शिकार बन जाते तो उसका जिम्मेदार कौन होता ? आखिर सूचना के 45 मिनट बाद तक कहा थे रामगांव एसओ ? क्या इससे बड़ा भी जरूरी कोई काम एसओ साहब के पास था ? ऐसे कई सवाल लोगों की समझ से परे है।
अनियंत्रित कार की चपेट में आकर एक किशोरी की मौके पर मौत हो गई।