रहस्यमयी बुखार से 52 बीमार एक बालिका की मृत्यु मुख्य चिकित्सा अधिकारी बाराबंकी की लापरवाही बनी मुख्य कारण

 त्रिवेदीगंज, बाराबंकी। स्वच्छता अभियान के कागजी साबित होने का दुष्परिणाम क्षेत्र की जनता को अंततः भुगतने को मजबूर होना पड़ रहा है। जिससे जहां संक्रामक रोगों के फैलने की संभावना को लेकर समाचार पत्र पहले से ही प्रशासन को सचेत करने का प्रयास कर रहा था लेकिन अपने तक में सीमित प्रशासन बजाए सचेत होने के चाटुकारों तक ही सीमित रहे जिसका परिणाम क्षेत्र के आधा सैकड़ा लोगों को भुगतना पड़ रहा है जो रहस्मयी बुखार से पीड़ित हो जीवन मृत्यु की जंग से जूझने को मजबूर हैं क्योंकि हमारे देश का सिस्टम व्यवस्थित होने की जगह शहंशाही अंदाज में मस्त है। जिसके परिणाम स्वरूप ,एक मासूम बच्ची की मौत भी इस रहस्मयी बुखार से होने की बात सामने आई है।
प्रदेश की योगी सरकार स्वास्थ सुबिधा को चाक-चैबंद करने के भले ही लाखों प्रयास करें। परंतु होगा तो वही जो उच्च पदों पर बैठे हुए शासन की नीतियों को अमलीजामा पहनाने वाले अधिकारी चाहेंगे। काश समय पर कर कार्रवाई हो जाती तो आज सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र. त्रिवेदीगंज के अंतर्गत ग्राम मर्दापुर में रहस्यमयी बुखार का कहर एक साथ 52 लोगों मे ना दिखता।और 15 वर्षीय सलोनी पुत्री सियाराम की मृत्यु को कुछ हद तक बचाना बताया जा सकता था। 30 शैय्या का बना सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र त्रिवेदी गंज के अधीक्षक की भ्रष्ट नीतियों के कारण  लोगों को  जान गवाने को मजबूर होना पड़ रहा है। जनपद स्तर पर बैठे मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ रमेश चंद्रा को समाचार पत्रों द्वारा समय-समय पर भ्रष्टाचार का पर्दाफाश कर मामला उनके संज्ञान में लाया जाता रहा। परंतु उनके द्वारा जांच के नाम पर लीपापोती करने  एवं समय-समय पर दोषियों का बचाव करते रहने के कारण आज क्षेत्र के एक ही गांव में 52 रहस्यमई बुखार से पीडित रोगियों का उपचार करने के लिए मजबूर होकर चिकित्सकों की टीम को जाना पड़ा। 
जबकि समाचार पत्र द्वारा समय-समय पर सीएमओ का ध्यान सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र त्रिवेदी गंज मैं फैली अव्यवस्था की ओर ध्यान आकर्षित किया गया परंतु उनके द्वारा समय रहते हुए किसी भी प्रकार की आज तक कार्रवाई नहीं की गई। क्षेत्रीय लोगों ने प्रदेश के मुख्यमंत्री महोदय से उक्त प्रकरण की उच्च स्तरीय जांच करवाए जाने की मांग की है।