यमदूत बनी नदी ने करीब 100बीघा जमीन को लील लिया

दरियाबाद, बाराबंकी। घाघरा नदी का कहर बरसात के साथ ही आरम्भ हो गया है। जहां जिम्मेदार गहरी नींद में अभी तक सोए हुए हैं वहीं यमदूत बनी नदी ने करीब 100बीघा जमीन को लील लिया है और कई गांव यमदूत बनी नदी में समाने का अग्रसर है। जिसको लेकर पूरे क्षेत्र में मारे दहशत के लोगों के रातों की नींद उड़ गई हैं वहीं बचाव के नाम पर मोदी योगी सरकार के दावे हवाहवाई साबित हो रहे हैं भले ही इन्हीं मद में अब तक सरकार आजादी के पहले से आ रही बाढ़ ेके स्थाई विकल्प के नाम पर लाखों करोड़ अब तक खर्च चुकी है तो बालू के ढ़ेर की तरह उफान भरती घाघरा में कहीं गुम हो गए हैं। 
तहसील सिरौलीगौसपुर क्षेत्र के अंतर्गत घाघरा की तलहटी में बसे गाँवों में सनावा मजरे टेपरा गाँव को एक बार फिर से घाघरा नदी धीरे धीरे लील रही है।यहाँ के गुरुप्रसाद का मकान नदी में पूरी तरह से समा चुका है।वही सोहन लाल का मकान भी आधा कट चुका है और आधा मुहाने पर खड़ा है जो कभी भी कट सकता है।जिनके घर नदी में समा चुके हैं वो लोग खुले मैदान में तिरपाल के नीचे रहने को मजबूर हैं। वही इसी गाँव के साहेबदेई, रामसुरेश,लल्लन,अगनू,पूर्णमासीसहित लगभग एक दर्जन लोगो की करीब 100 बीघे जमीन को घाघरा निगल चुकी है।वही कुछ दूरी पर बसे पासिन टेपरा गाँव के रहने वाले रामबख्श,जगदीश, लालबहादुर के छप्परनुमा मकान नदी लील चुकी है।बाकी बचे घरो पर भी संकट बरकरार है।यहाँ के ग्रामीणो ने बताया कि नदी हमारे घरो व जमीनों तथा उसमे लगी फसलों को दिन रात लीलती जा रही है।किन्तु अभी तक हमारी सहायता के लिए न कोई जनप्रतिनिधि नही आया है।सिर्फ वोट लेने के समय आते हैं और बड़े बड़े वादे करके चले जाते हैं।एस डी एम साहेब देख के चले गए।अभी तक सरकारी सहायता के नाम पर सिर्फ एक तिरपाल दिया गया है।हमारी आँखों के सामने सबकुछ तबाह हो रहा है।अभी तक मदद के नाम पर सिर्फ आश्वासन ही मिला है।ग्रामीणों ने बताया कि नदी में डाली जा रही हैं।किन्तु बोरियों से कोई भी फर्क पड़ता नजर नही आ रहा है।कटान लगातार जारी है।अब भगवान का ही सहारा है।