घूसखोर अफसरों के सामने व्यापारी रिरियाने को मजबूर !

अपनी बात तीर नही तो तुक्का
प्रधानमंत्री मोदी एवं देष की वित्त मंत्री श्रीमती सीतारमण व्यापारियों के पक्ष में चाहे कितने कसीदे पढ़े उन्हे भामाषाह की पदवी से नवाजे उनके व्यापार को विषेशकर छोटे व्यापारियों के व्यापार को सुविधाजनक बनाने के लिए जीएसटी को मुलायम बनाने के लिए तमाम रियायतें दें। परन्तु सूबे की सबसे बड़ी पंचायत से मात्र  बारहा सौ मीटर दूर बना जीएसटी आफिस छोटे व्यापारियों का प्रताड़ना घर बना हुआ हैं। इसकी षरूआत होती है जब प्रधानमंत्री के आहवान पर ईमानदार व्यापारी रजिस्ट्रेषन के लिए आन लाइन आवेदन करता है। तब ही से उसकी हाजरी एवं व्यापार में अड़ंगा लगवाना षुरू हो जाता है। जबकि नई सरकार केी पहली जीएसटी काउन्सिल की मीट्रिग में कहा गया था जीएसटी रजिस्टेषन की प्रक्र्यिा केवल आधार कार्ड के सहारे हो जायेगी  लेकिन जीएसटी आफिस में व्यापारी से कागज पे कागज मांगे जातेहैं मतलब साफ है  उद्रदेष्य है व्यापारी को पीढ़ित करना ?घूसखोर अफसरों का हथियार बनता है, व्यापारी का मोबाइल न0 जिसका उपयोग अफसर एवं उनके कर्मचारी न्योता  देने के लिए करते हैं। देखते हैं प्रधानमंत्री जी के फेवरिट  मुख्यमंत्री क्या कदम उठाते हैं।


अखिल सावंत
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