देश में कहीं भी करा सकेंगे टीबी का उपचार  मरीजों की बन रही डिजिटल आईडी  सरकार भी मरीजों पर नजर रख सकेगी


 मेरठ । अब टीबी मरीज देश में कहीं भी उपचार करा सकेंगे । इसके लिए मरीजों की डिजिटल आईडी बनायी जा रही है। इसके लिये निक्षय पोर्टल वर्जन-2 शुरू किया गया है। इसके तहत जहां मरीजों का रिकार्ड अपडेट रहेगा वहीं बैंक का ब्योरा भी उपलब्ध रहेगा। डिजिटल आई डी बनने से वह देश में कही भी जहां टीबी उपचार की सुविधा होगी उपचार करा सकेंगे। साथ ही सरकार भी अब मरीजों पर नजर रख सकेगी।
निक्षय पोर्टल वर्ज- 2 में मरीजों की पहचान का तरीका कुछ अलग रखा गया है। टीबी मरीजों को सात अंकों वाली आईडी दी गयी है। इसके माध्यम से देश के किसी भी कोने में बैठे टीबी मरीजों की जानकारी ली जा सकती है। सेंट्रल टीबी डिवीजन से जुड़ जाने के कारण टीबी मरीज की 11 सूचनाएं ऑनलाइन होंगी। जिला क्षय अधिकारी डा एमएस फौजदार ने बताया कि विभाग ने रिवाईज नेशनल टयूबरक्लोसिस कंट्रोल कार्यक्रम -आरएनटीसीपी के तहत सभी 24 अर्बन हेल्थ सेंटरों पर नये टीबी जांच केन्द्र खोलने की कवायद शुरू की है। इसमें से सात केन्द्रो पर जांच शुरू की गयी है। उन्होंने बताया यहां पर पहले से सेटअप था इन स्थानों पर रिनोवेशन कराया जा रहा है।
ये सूचनाएं होगी ऑनलाइन
टीबी के मरीजों के बारे में उनका नाम, पता, उम्र,कब से बीमारी है, लक्षण क्या है ,किस अस्पताल में उपचार चल रहा है,मरीज को पोषण भत्ता मिल रहा है या नहीं आदि जानकारियां ऑनलाइन होंगी। मेरठ का मरीज अगर किसी अन्य राज्य में उपचार करा रहा है तो उसकी पूरी जानकारी उस पर उपलब्ध होगी।
6 सालों में मिले 40822 टीबी मरीज
देश से टीबी को सन 2025 तक समाप्त करने के लिये पूरे प्रयास किये जा रहे हैं। लोगों को टीबी के प्रति जागरूक किया जा रहा है। गत वर्षों में टीबी विभाग ने 40822 मरीजों की तलाश की है जिनका उपचार किया जा रहा है। इनमें बड़ी संख्या में मरीज टीबी से मुक्त हो गये हैं।