आंगनबाड़ी केंद्रों को मिलेंगे इंफेन्टोमीटर व स्टेडियोमीटर कुपोषित बच्चों की जांच में होगी आसानी, मेजरमेंट भी होगा सही

 मेरठ।बच्चों के कुपोषण की जांच, लम्बाई और वजन नापने के लिए अब आंगनबाड़ी केंद्रों को नये उपकरण इंफेन्टोमीटर और स्टेडियोमीटर मिलेंगे। इंफेन्टोमीटर और स्टेडियोमीटर से बच्चों की जांच में सहूलियत होगी और बाल विकास सेवा एवं पुष्टाहार विभाग आईसीडीएस और स्वास्थ्य विभाग का मापदंड एक समान रहेगा।
अब तक आईसीडीएस की ओर से बच्चों की बांह का घेरा और लम्बाई फीते से नापी जाती थी। इस कारण उनका सही मेजरमेंट नहीं हो पाता था। इसी समस्या को देखते हुए केंद्र सरकार आंगनबाड़ी केंद्रों को इंफेन्टोमीटर व स्टेडियोमीटर देने जा रही है।
जिला कार्यक्रम अधिकारी सुशील कुमार ने  बताया कि आगंबाड़ी केंदों पर छोटे बच्चों  और किशोरियों के स्वास्थ्य और पोषण का ध्यान रखा जाता है। साथ ही समय-समय पर इन बच्चों की डॉक्टरी जांच  करायी जाती  है। आंगनबाड़ी केंद्रों पर आने वाले कुपोषित बच्चों को जिला अस्पताल में स्थित एमसीएच वार्ड में रिफर किया जाता है। ऐसे में जिले के 2091 आंगनबाड़ी केंद्रों पर स्वास्थ्य जांच में सहायक उपकरण नहीं होने से परेशानी आ रही थी। इसको देखते हुए अब केंद्र सरकार की ओर से राष्ट्रीय स्ट्रेन्गिथिंग और न्यूट्रीशियन इम्प्रवूमेंट प्रोजेक्ट के तहत इंफेन्टोमीटर और स्टेडियोमीटर उपलब्ध कराए जाएंगे। उन्होंने बताया कि इससे कुपोषित बच्चों की जांच में आसानी होगी। 
 इंफेन्टोमीटर :- यह छोटे बच्चों दो वर्ष तक की लम्बाई मापने का यंत्र होता है। लकडीनुमा पट्टे पर बच्चे की चौड़ाई और लम्बाई की जानकारी मिलती है। इसके बाद उसे साप्ताहिक चार्ट में लिखा जाता है। प्रत्येक सप्ताह बच्चे की ग्रोथ चार्ट में जानकारी लिखनी होगी। इसको मासिक मेडिकल जांच में दिखना होता है।
स्टेडियोमीटर :- यह बड़े बच्चों जो खड़े हो सकते हैं की लम्बाई नापने का उपकरण है। अब तक आंगनबाड़ी केंद्रों पर लम्बाई नापने के लिए फीते का उपयोग किया जाता था। जो डब्ल्यूएचओ की ओर से मान्य नहीं था। अब दीवारों के सहारे स्टेडियोमीटर लगाया जाएगा। इससे ग्रोथ चार्ट में लम्बाई लिखी जाएगी। अब आंगनबाड़ी केंद्रों पर बच्चों का सही रिकॉर्ड रहेगा। 
मुख्य चिकित्सा अधिकारी डा राजकुमार  ने बताया कि चिकित्सा विभाग की ओर से इंफेन्टोमीटर और स्टेडियोमीटर का उपयोग किया जाता है। वहीं आईसीडीएस की ओर से बच्चों की लम्बाई व बांह का घेरा फीते से नापा जाता है। इस कारण एमसीएच केंद्र और आंगनबाड़ी के मापदंड में अंतर आ जाता है। इस कारण कई बार कुपोषण, अतिकुपोषित और सामान्य की श्रेणी में विरोधाभास होता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के तय मापदंड के आधार पर केंद्र सरकार इंफेन्टोमीटर और स्टेडियोमीटर खरीद कर देश के प्रत्येक आंगनबाड़ी केंद्रों और मिनी केंद्रों पर पहुंचा रही है। इन केंद्रों पर आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, आशा संगिनी को विशेष प्रशिक्षण दिया जाएगा, जिससे कुपोषित बच्चों  की सही जांच की जा सके।