लोकसेवा आयोग के भ्रष्टाचार के खिलाफ युवा मंच ने शुरू किया जनजागरण अभियान

जब आयोग परिक्षेत्र में धरना-प्रदर्शन प्रतिबंधित तब भ्रष्ट अधिकारियों के बचाव में धरना की इजाजत क्यों
जेल में बंद छात्रों की हो बिना शर्त रिहाई
इलाहाबाद, लोक सेवा आयोग परिक्षेत्र में प्रशासन द्वारा भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन पर लगाये गये प्रतिबंध के बावजूद छात्रों ने आंदोलन को जारी रखने का संकल्प लिया। युवा मंच के संयोजक राजेश सचान, सुरेंद्र पाण्डेय, अरविंद मौर्य के नेतृत्व में ममफोर्डगंज व छोटा बघाड़ा में छात्रों से जन संपर्क के दौरान कहा कि आयोग के भ्रष्टाचार को उजागर करने व भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाने पर बर्बर दमन किया जा रहा है। शांतिपूर्ण कैंडल मार्च व नुक्कड़ सभाओं की भी इजाजत नहीं दी जा रही है। 31 मई को इलाहाबाद में हुए शांतिपूर्ण प्रदर्शन पर न सिर्फ बर्बर लाठी चार्ज किया गया वरन् 12 नामजद सहित 200 अज्ञात छात्रों के ऊपर संगीन धारायें लगा दी गईं। भ्रष्टाचार के खिलाफ प्रतीकात्मक विरोध दर्ज करा रहे छात्रों को भी जेल भेज दिया गया। वाराणसी में शांतिपूर्ण कैंडल मार्च निकालने वाले छात्रों पर मुकदमा दर्ज कर लिया गया।
उन्होंने कहा कि धरना के लिए प्रतिबंधित किये गये आयोग परिक्षेत्र में उन लोगों के इशारे पर धरना-प्रदर्शन जारी है जो कि सीबीआई-एसटीएफ के रडार पर हैं और उनके द्वारा छात्रों के आंदोलन को ही कटघरे में खड़ा करने की कोशिश की जा रही है।युवा मंच ने पीसीएस एसोसियेशन से भी अपील की है कि लोक सेवा आयोग में भ्रष्टाचार में लिप्त वर्तमान व पूर्ण के अधिकारियों का बचाव न करें इससे उनके एसोसियेशन की ही प्रतिष्ठा व साख गिरेगी। उन्होंने मांग की की सीबीआई जांच अधिकारी राजीव रंजन को पुनः लाया जाये और बिना सरकारी हस्तक्षेप के कार्य करने दिया जाये। साथ ही 2017 के बाद की भी भर्तियों की जांच सीबीआई से कराई जाये। कहा कि मुख्यमंत्री व भाजपा के पास इसका जवाब नहीं है कि आखिर किसे बचाने के लिए आयोग में भ्रष्टाचार को संस्थाबद्ध करने वाले तत्कालीन अध्यक्ष से पूछताछ नहीं की गई, इससे छात्रों के इन आरोपों पर बल मिलता है कि अगर अनिल यादव से पूछताछ होती तो भाजपा के कई प्रभावशाली नेता भी फंस सकते थे। तब क्या इन्हीं को बचाने के लिए सीबीआई जांच में लीपापोती की गई।