बाराबंकी। आज देश गम्भीर आर्थिक संकट से जूझ रहा है। और उसमें देश का प्राचीनतम व्यवसाय कृषि अतिदयनीय अवस्था मेें है। लाखांे किसान कर्ज मंे डूब कर आत्महत्या कर रहे हैं और विडम्बना यह है कि आज किसान राजनैतिक दलों के राजनैतिक प्रचार का मुद्दा बनकर रह गया है। डर इस बात का है कि इस मुल्क में किसानों की बात करना कहीं फैशन न बन जाये।
उक्त विचार आल इण्डिया किसान सभा के जनक स्वामी सहजानन्द सरस्वती की पुण्य तिथि पर ''किसानांे की समस्या एवं सरकार'' विषय पर आयोजित गोष्ठी में मुख्यवक्ता के तौर पर आल इण्डिया किसान सभा के राष्ट्रीय सचिव अतुल कुमार अंजान ने व्यक्त किये। उन्होनें आगे कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी किसानों की आय दुगनी करने की बात करते है परन्तु राष्ट्रपति के भाषण के अभिवादन में लोकसभा में किसानों की समस्या का उन्होंने कोई जिक्र तक करना मुनासिफ नहीं समझा। भारतीय जनता पार्टी सरकार की नीतियाँ प्रारम्भ से ही किसान विरोधी एवं गरीब विरोधी रही हैं। उनके ही शासनकाल में बीज महंगा, खाद महंगी और डीजल की कीमतें आसमान छू रहीं है। अब अमेरिका के दबाव में पेट्रोलियम पदार्थों का आयात ईरान से न करने पर पेट्रोल और डीजल की कीमतों में और उछाल आयेगा। किसानों की समस्यायें बढ़ने वाली हैं। मुद्रा स्फूर्ति दर मंे भी इजाफा होगा आम जनता को महंगाई का सामना करना होगा।
उ0प्र0 किसान सभा के महामंत्री एवं पूर्व विधायक कामरेड राजेन्द्र यादव ने अपने सम्बोधन मंे किसानों की वर्तमान जटिल परिस्थितियों के विरूद्ध संघर्ष करने का आवाह्न किया। इस अवसर पर उ0प्र0 किसान सभा के सदस्य रणधीर सिंह सुमन ने गोष्ठी में सभी सदस्यों का स्वागत करते हुए 'लोक संघर्ष पत्रिका के विशेष अंक ''किसान सभा'' का लोकर्पण किसान सभा के वरिष्ठ पदाधिकारियों द्वारा करा गया।
किसान सभा के जनक स्वामी सहजानन्द सरस्वती की पुण्य तिथि पर हुई गोष्ठी किसान राजनैतिक दलों के प्रचार का मुद्दा बनकर रह गया-अतुल कुमार अंजान