प्रयागराज। भारतीय संस्कृति और सभ्यता के विकास में ललित कलाओं का महत्वपूर्ण स्थान एवं योगदान रहा है। समाज में कला के विकास और उत्थान के लिए कला शिविर जैसे कार्यक्रम अहम भूमिका निभाते हैं। जिस के दृष्टिगत राज्य ललित कला अकादमी संस्कृति विभाग, उत्तर प्रदेश द्वारा ग्रीष्मकालीन चित्रकला कार्यशाला मीरापुर स्थित डीएवी इंटर कॉलेज में संचालित की जा रही है। 8 जून से 27 जून तक चलने वाली वाले शिविर में बच्चे एवं नवोदित कलाकार कला के नए-नए हुनर सीख रहे हैं। शिविर में निपुण कला शिक्षकों द्वारा वाटर कलर पेंटिंग,आयल पेंटिंग, क्राफ्ट, कैलीग्राफी एवं मूर्ति कला के साथ साथ कला की अन्य विधाएं सिखाई जा रही हैं। छोटे-छोटे बच्चों एवं नवोदित कलाकारों द्वारा एक से एक सुंदर कलाकृतियां बनाई गई है, जो लोगों को आकर्षित करती हैं।कार्यशाला में मुख्य रूप से प्रशिक्षण देने वालों में संयोजक रविंद्र कुशवाहा सहित राजेंद्र भारती डॉ नगीना राम, तलत महमूद, कसीम फारुकी, अरविंद कुमार, जानू प्रजापति, आलोक बक्शी डॉक्टर जूही शुक्ला, डा. कावेरी विज, डॉक्टर जाहिदा खानम, साधना गिरी, स्वीटी, राकेश गोस्वामी, सानिया हाशिम, ज़ेेबा परवीन शामिल है। कार्यशाला के अंत में नवोदित कलाकारों द्वारा बनाई गई कलाकृतियों की प्रदर्शनी भी लगाई जाएगी। कार्यशाला में सम्मिलित होने वाले छात्र छात्राओं को ललित कला अकैडमी द्वारा सर्टिफिकेट भी दिया जाएगा। सहयोग करने वालों में विश्वनाथ मिश्र, डीएवी कॉलेज के प्रबंधक अखिल श्रीवास्तव एवं पब्लिक स्कूल के प्रबंधक शेखर सक्सेना आदि रहे।
ग्रीष्मकालीन चित्रकला कार्यशाला में तैयार हो रही नवोदित कलाकारों की पौध ललित कला अकादमी, उत्तर प्रदेश द्वारा आयोजित ग्रीष्मकालीन चित्रकला कार्यशाला में कला के नए आयाम सीख रहे बच्चे