इस्लाम देख तेरे रहबर का है जनाज़ा
हज़रत अली की शहादत पर दरियाबाद,रानी मण्डी,बख्शी बाज़ार से निकले मातमी जुलूस
तीन दिन शोक मे रहा मुस्लिम इलाक़ा
औरतों ने तोड़ी सुहाग की चूड़ियाँ,काले लिबास मे ग़मज़दा रहे लोग
पैग़म्बरे इस्लाम हज़रत मोहम्मदे मुस्तफा के दामाद व खलीफा ए चहार्रुम व शिया समुदाय के पहले इमाम हज़रत अली के यौमे शहदत के मौक़े पर मुस्लिम इलाक़ा ग़मज़दा हो गया।अन्जुमन ग़ुन्चा ए क़ासिमया के वालन्टियरों की देख रेख में फजिर की नमाज़ के बाद से शुरु सोग का सिलसिला देर रात तक जारी रहा।प्रातः फजिर की नमाज़ के बाद मस्जिद क़ाज़ी साहब बख्शी बाज़ार से मोमबत्ती की रौशनी मे गुलाब व चमेली के फूलों से सजा ताबूत ए अली निकाला गया।मौलाना डॉ रिज़वान हैदर रिज़वी ने मसाएब ए अली बयान किया मस्जिद की लाईटों को बुझा कर मौलाना ने जब बयान किया तो ग़मगीन और स्याही की चादर मे लिप्टी सुबहा हर तरफ से आहो बुका की सदाओं से लरज़ने लगी।हाँथों मे ताबूत ए अली लेकर निकले नौजवानों के काँधे काँधे मस्जिद परिसर मे गश्त कराते हुए जुलूस की शक्ल मे या अली मौला हैदर मौला की फलक शिग़ाफ नारों के साथ मातमदार ताबूत के साथ साथ अहाता खुर्शैद हुसैन तक गए। जहाँ पुरुषों के मातम के बाद ताबूत और दुलदुल की ज़ियारत को महिलाओं के सुपुर्द कर दिया गया।जहाँ बड़ी संख्या मे काले लिबास व काली चादर से ढ़की खवातीनों ने गिरयाओ जारी के साथ मन्नत व मुरादें मांगी।रास्ते भर लोग फुलों व सूती चादर चढ़ा कर अक़िदत का इज़हार करते रहे।वहीं दुसरा बड़ा जुलूस अन्जुमन अब्बासिया की क़यादत मे रानीमण्डी स्थित इमाम बाड़ा आज़म हुसैन से निकला वही इमामबाड़ा आबीदया मे ज़ाकिरे अहलेबैत रज़ा अब्बास ज़ैदी ने अपनी तक़रीर मे हज़रत अली के ग़मगीन मसाएब पढ़े तो हर तरफ से आहो बुका की सदा के साथ आँखों से अश्कों की धारा बहने लगी।अन्जुमन आबिदया के नौहा ख्वान मिर्ज़ा काज़िम अली की क़यादत मे मातमी अन्जुमन आबिदया नौहा और मातम का नज़राना पेश किया । दोनो अन्जुमन साथ साथ अपने अपने परचमे अब्बास को लेकर नौहा और मातम करते हुए बच्चा जी धरमशाला,कोतवाली,नखास कोहना,खुलदाबाद,हिम्मतगंज से होते हुए चकिया करबला पहोंच कर जुलूस को सम्पन्न कराया।रास्ते भर लोग ताबूत ,दुलदुल व अलम पर फूल माला चढ़ा कर मन्नत व मुरादें मांगते रहे।वहीं गाँव कसबों में भी हज़रत अली की शहादत पर जुलूस निकाले गए।दाँदूपुर ,असरावल,बिसौना मे भोर मे मजलिस हुई व काले लिबास मे अक़िदतमन्द जुलूस मे शामिल हुए।इमामबाड़ा क़दीम बिसौना में मन्ज़ुर हुसैन ने सोज़ख्वानी तो मौलाना समर अब्बास ने मजलिस के माध्यम से ज़िक्रे अली और मसाएब ए अली बयाना किया।हिन्दू नौहाख्वान राजेन्द्र रघुवन्शी व सदफ रिज़वी ने ग़मगीन नौहा पढ़ा। जुलूस में गौहर काज़मी,हसन नक़वी,मंज़र कर्रार,सै०मो०अस्करी,रौनक़ सफीपुरी,क़ाज़ी शाहरुक़,मिर्ज़ा अज़ादार हुसैन,रिज़वान जव्वादी,इफ्तेखार हुसैन,शाहिद अब्बास रिज़वी,आसिफ रिज़वी,मुशीर अब्बास,फैज़ रज़ा,ज़ैन अस्करी,रज़ा रिज़वी,हुसैन अस्करी,अली रज़ा,हाशिम अब्बास,मुनाज़िर हुसैन,कल्बे अब्बास,ज़ामिन अब्बास,ज़ैग़म, फैज़,बद्रे आलम सूफी हसन,अली सज्जाद आदि शामिल थे।
*दरगाह फातहे फुरात पर हुआ इरानी ज़न्जीरों का मातम*
दरियाबाद मे दरिया के किनारे चमत्कारिक दरगाह फातहे फुरात पर मौलाना अली गौहर साहब ने हज़रत अली की शहादत पर मार्मिक अन्दाज़ मे जब बयान किया तो हर आँख अश्कबार हो गई ।दरगाह प्रांगण व आस पास की सभी लाईटें बुझा कर जब ग़मगीन मसाएब मौलाना ने पढ़े की कैसे मौला ए कायनात अमीरुल मोमेनीन हज़रत अली इब्ने अबूतालिब को कूफे की मस्जिद मे फजिर की नमाज़ के दौरान सजदे की हालत क़ातिल अब्दुर्रहमान इब्ने मुलजिम ने ज़हर से बुझी तलवार से सर पर वार कर दिया तो हर तरफ से आहो बुका की सदा गूंजने लगी ,लोग क़ातिल पर लानत भेजते रहे।बाद मजलिस शबीहे ताबूत मौला ए कायनात निकाला गया और अक़िदतमन्दों ने ताबूत के बोसे लिए।वहीँ मातमदारों ने ईरानी स्टाईल की ज़न
जीरों से पुश्तज़नी कर अली की शहादत को शिद्दत से ग़मज़दा हो कर मनाया।मजलिस से पहले औन प्रतापगढ़ी की सोज़ख्वानी,ज़िशान आब्दी व पासबान ने पेशख्वानी के फराएज़ निभाए।इन्तेज़ामिया कमेटी के अकबर रिज़वी ,अली मौलाई,काशिफ रिज़वी,रज़ी रिज़वी,वासिफ,सै०अब्बास नक़वी,तम्मार रिज़वी,मुमताज़ हुसैन,मो०अस्करी,औन ज़ैदी आदि शामिल रहे