अपनी बात
खरी खरी
खतरनाक है जनादेष का अपमान
अखिल सावंत
लोकसभा चुनाव में मतदान के बाद एक्जिट पोल से आये नतीजे के बाद जिस तरह से विरोधी दल के नेताओं ने एक्जिट पोल के साथ ईवीएम से सम्पन्न हुई मतदान प्रक्रिया पर सन्देह अथवा असहमति जाहिर की है। वैसे सन्देह करना उनका अधिकार हो सकताहै। लेकिन उसके पीछे वाजिब वजह होना चाहिए क्योंकि उनका सन्देह करोड़ों मतदाता का अपमान है जिनको इवीएम मषीनों पर विष्वास है, उसके माध्यम से अपना जनप्रतिनिधि चुनते हैं ।इस बार भी उन्होने इ्र वी एम के माध्यम से ना केवल अपना संसद चुना बल्कि प्रधानमंत्री के लिए अपनी पसन्द जाहिर की। हमारे देषमें मतदाता भावनात्मकरूप् से चुनाव प्रक्रिया से जुड़ा है। मतदाता को मतदान स्थल तक उसकी भावना ही लेजाती है। ऐसे में अगर कोई जनमत को खारिज करता है। तो एक आक्रोष पनपता है। फिर अगर उपेन्द्र कुषवाह जैसे लोग मन मुताबिक जनादेष न मिलने पर खूनखराबा करने की धमकी देते हैं विपक्षी मौन रहते हैं। ऐसे में जनमत का आको्रष उसे जवाबी कार्यवाही के लिए उकसाते हैं। जोकि देष को खतरनाक रूप से ग्रहयुद्व की ओर ले जाने की कोषिष की। जिसकी जिम्मेवारी किसकी बनती है? ??े
खरी खरी
खतरनाक है जनादेष का अपमान
अखिल सावंत
लोकसभा चुनाव में मतदान के बाद एक्जिट पोल से आये नतीजे के बाद जिस तरह से विरोधी दल के नेताओं ने एक्जिट पोल के साथ ईवीएम से सम्पन्न हुई मतदान प्रक्रिया पर सन्देह अथवा असहमति जाहिर की है। वैसे सन्देह करना उनका अधिकार हो सकताहै। लेकिन उसके पीछे वाजिब वजह होना चाहिए क्योंकि उनका सन्देह करोड़ों मतदाता का अपमान है जिनको इवीएम मषीनों पर विष्वास है, उसके माध्यम से अपना जनप्रतिनिधि चुनते हैं ।इस बार भी उन्होने इ्र वी एम के माध्यम से ना केवल अपना संसद चुना बल्कि प्रधानमंत्री के लिए अपनी पसन्द जाहिर की। हमारे देषमें मतदाता भावनात्मकरूप् से चुनाव प्रक्रिया से जुड़ा है। मतदाता को मतदान स्थल तक उसकी भावना ही लेजाती है। ऐसे में अगर कोई जनमत को खारिज करता है। तो एक आक्रोष पनपता है। फिर अगर उपेन्द्र कुषवाह जैसे लोग मन मुताबिक जनादेष न मिलने पर खूनखराबा करने की धमकी देते हैं विपक्षी मौन रहते हैं। ऐसे में जनमत का आको्रष उसे जवाबी कार्यवाही के लिए उकसाते हैं। जोकि देष को खतरनाक रूप से ग्रहयुद्व की ओर ले जाने की कोषिष की। जिसकी जिम्मेवारी किसकी बनती है? ??े