हालात मेरे शहर के बदहाल हो गये,सबके दिलो से दिलो से बुग्ज निकालो मेरे हुसैन-

बाराबंकी । मारफते इलाही चाहिए तो खुद को अहलेबैत की जिन्दगी में गर्क कर दो। दुनिया की खाबे गफलत में रहकर आखेरत की बेदारी मुमकिन नहीं । तमाम अम्बिया के कमालो-सिफाअत के वारिस को हुसैन कहते है । यह बात नौचंदी की मजलिस को खिताब करते हुए कर्बला सिविल लाइन में आली जनाब मौलाना इब्ने अब्बास जैदपुरी साहब किबला ने कही । उन्होंने यह भी कहा कि जब एक लाख तेईस हजार नौ सौ निन्नान्वे अम्बिया के कमालो-सिफाअत जब लिपट कर एक नुक्ते पर आता है तो खुदा हुसैन कि खिलकत करता है । जो खुदा से डरते है उनसे सारी दुनिया डरती है । देखना चाहते हो तो हिजबुल्लाह ,नसरुल्लाह को ईरान में देखो ये अपने मालिक यानी परवरदिगार से डरते है उसी तरह जिन्दगी गुजरते है जैसा खुदा चाहता है यही वजह है सारी दुनिया इनके आगे घुटने टेकती है । आखिर में कर्बला वालो के मसायब पेश किये जिसे सुनकर मोमनीन रो पड़े । मजलिस का आगाज हदीसे किसा की तिलावत से सरवर अली रिजवी ने किया नजराना पेश करते हुए सरवर अली ने पढ़ा-हालात में शहर के बदहाल हो गये,सबके दिलो से बुग्ज निकालो मेरे हुसैन ,बाकर नकवी ने पढ़ा-चाहते हो गर मुकद्दर को दो बाला करना सबसे पहले दरे शब्बीर पे सजदा करना । अयान ने भी नजरानये अकीदत पेश किया । बादे मजलिस अलम मुबारक का जुलूस बरामद हुआ ।अंजुमन गुंचये अब्बासिया व अंजुमन सदाये हुसैन ने नौहा ख्वानी व सीनाजनी की ।