14 अप्रैल यानि आज संविधान के निर्माता और भारत रत्न डॉ. बाबा साहेब भीमराव आंबेडकर की 128 वीं जयंती है। शोषित और वंचित तबके के लोगों को आवाज देने वाले डॉ. आंबेडकर का जन्म 1891 में आज ही के दिन हुआ था।
डॉ. आंबेडकर ने अपना पूरा जीवन शोषितों, वंचितों और दलितों के उत्थान में लगा दिया और जीवन भर उनके हक की लड़ाई लड़ते रहे। आरक्षण को लेकर लोगों में आपसी मतभेद हो सकता है पर बाबा साहेब की मेधा, प्रतिभा, व्यक्तित्व की गहराई, विपुल अध्ययन और दूरदर्शिता जैसे गुणों को लेकर सभी एकमत हैं
धारा 370 पर राजनीतिक दलों और देश में बवाल मचा हुआ है। बाबा साहेब भीमराव आंबेडकर भारतीय संविधान की इस धारा के खिलाफ थे। धारा 370 जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देता है। अनुच्छेद 370 को लेकर आंबेडकर ने शेख अब्दुल्ला को पत्र लिखा था।
इतना बड़ी शख्सियत होने के बाद भी आंबेडकर चुनाव हार गए थे। उन्होंने वर्ष 1952 में बॉम्बे नॉर्थ से लोकसभा चुनाव लड़ा और कांग्रेस उम्मीदवार नारायण काजरोलकर ने उन्हें हरा दिया था।
बाबा साहेब भीमराव आंबेडकर को संविधान के निर्माता के रूप में भी हम सब जानते हैं। आज हम देश को चलाने और नियम-कानून को लेकर जिस संविधान की बात करते हैं वो बाबा साहे
आंबेडकर ने भारतीय श्रम सम्मेलन के 7 वें सत्र में भारत में काम करने का समय 14 घंटे से घटाकर आठ घंटे कर दिया था। अगर ऐसा न हुआ होता तो हमारा औसत कार्य दिवस सुबह 9 से रात 11 बजे 

भारतीय रिजर्व बैंक की स्थापना में आंबेडकर ने अहम भूमिका निभाई थी। उनकी पुस्तक 'द प्रॉब्लम ऑफ द रुपी - इट्स ओरिजिन एंड इट्स सॉल्यूशन’ में आरबीआई के गठन के दौर को विस्तार से बताया ग
वर्ष 1955 में आंबेडकर ने बेहतर शासन के लिए मध्यप्रदेश और बिहार दोनों राज्यों के विभाजन का सुझाव दिया था। इसके ठीक 45 साल बाद राज्यों का विभाजन किया गया, जिससे छत्तीसगढ़ और झारखंड बना।
आंबेडकर का मूल नाम अंबावडेकर था, लेकिन उनके शिक्षक ने स्कूल के रिकॉर्ड में उनका नाम बदलकर आंबेडकर कर दिया। 'आंबेडकर' शिक्षक का स्वयं का उपनाम था। असल में वे शिक्षक आंबेडकर को बहुत पसंद
अंबेडकर की आत्मकथा, 'वेटिंग फॉर ए वीजा' का उपयोग कोलंबिया विश्वविद्यालय में एक पाठ्यपुस्तक के रूप में किया जाता है। इसे उन्होंने 1935-36 के दौरान लिखा था।