भाजपा के घोषणापत्र को कांग्रेस ने झूठा बताया है। कांग्रेस की प्रेस कांफ्रेंस में वरिष्ठ नेता अहमद पटेल ने कहा कि पीएम मोदी को संकल्प पत्र नहीं, बल्कि माफीनामा जारी करना चाहिए था। वहीं, कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने घोषणापत्र से गायब मुद्दों को लेकर भाजपा पर हमला बोला। सवाल उठाया कि बेरोजगारी, कालाधन, नोटबंदी जैसे सरकार के पिछले वादों का क्या हुआ! इससे पहले वरिष्ठ कांग्रेसी नेता कपिल सिब्बल ने आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कभी सच नहीं बोल सकते, इसलिए उनका घोषणापत्र भी झूठा है।
भाजपा का संकल्प पत्र जारी होते ही कांग्रेस ने अपने ट्विटर एकाउंट पर अपनी और भाजपा के घोषणापत्र का कवर पेज दिखाते हुए आलोचना की थी। लिखा- घोषणा पत्र की तस्वीर बताती है कि हमारे लिए देश के लोग महत्वपूर्ण हैं और उनके लिए अपना चेहरा। हमारे घोषणा पत्र में देश के करोड़ों लोगों के विचारों का समावेश है, जबकि भाजपा के घोषणा पत्र में सिर्फ एक व्यक्ति के 'मन की बात'। अब देश अपने 'मन का फैसला' सुनाएगा।
भाजपा का संकल्प पत्र जारी होते ही कांग्रेस ने अपने ट्विटर एकाउंट पर अपनी और भाजपा के घोषणापत्र का कवर पेज दिखाते हुए आलोचना की थी। लिखा- घोषणा पत्र की तस्वीर बताती है कि हमारे लिए देश के लोग महत्वपूर्ण हैं और उनके लिए अपना चेहरा। हमारे घोषणा पत्र में देश के करोड़ों लोगों के विचारों का समावेश है, जबकि भाजपा के घोषणा पत्र में सिर्फ एक व्यक्ति के 'मन की बात'। अब देश अपने 'मन का फैसला' सुनाएगा।
जुमलों से झांसों तक है मोदी सरकार का सफरनामा
रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि मोदी सरकार का सफरनामा जुमलों से झांसों तक है। सरकार का मूल मंत्र है- झांसों में फांसो। फिर एक बार झांसा पत्र तैयार किया है। देश के विश्वास में सरकार ने विष घोल दिया है। 2014 के 125 वादों का क्या हुआ? जब कोई अपना काम नहीं करता तो बहानेबाजी करता है। अपनी नाकामी का इल्जाम दूसरों पर मढ़ देना और रोज नए बहाने बनाना।
सुरजेवाला ने कहा कि कांग्रेस ने भाजपा के संकल्प पत्र में से 11 झूठी घोषणाएं निकाली हैं। नौकरी और रोजगार, भाजपा नेताओं के भाषण से गायब रहा। नोटबंदी की चर्चा भी नहीं हुई। जीएसटी पर कोई बात नहीं की। काले धन की बात पर 2014 में सत्ता में आए लेकिन आज उस पर कोई बात नहीं की।
सुरजेवाला ने कहा कि कांग्रेस ने भाजपा के संकल्प पत्र में से 11 झूठी घोषणाएं निकाली हैं। नौकरी और रोजगार, भाजपा नेताओं के भाषण से गायब रहा। नोटबंदी की चर्चा भी नहीं हुई। जीएसटी पर कोई बात नहीं की। काले धन की बात पर 2014 में सत्ता में आए लेकिन आज उस पर कोई बात नहीं की।